शायद ईश्वर को यही मंजूर था जिसे हम सभी को न चाहते हुए भी स्वीकारना ही पड़ेगा। परंतु इस दुखद घटना के बाद यह भी सबको अभास हुआ की अभी भी हमारे समाज में मानवता बाकी है। आज के स्वार्थी युग में अभी भी समाज में वैसे लोग है जो बाहर से कठोर परंतु अंदर से मानवता के लिए धड़कने वाले दिल रखते है। जिन्होंने जात पात के भेद भाव के बंधनों को किनारे कर अपने मानवीय कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया। जो हम सभी के मानस पटल पर हमेशा के लिए एक छाप छोड़ गया, कि एक समान्य व्यक्ति भी जिसमें कुछ लोग मजदूरी करते हुए भी दूसरे के दुख को अपना एवम् अपने परिवार का दुख समझते हुए आगे आए।
किसी के दुख और परेशानी में उसके साथ खड़ा होने या सहयोग करने के लिए जमींदार या करोड़पति होना जरूरी नहीं है। दिल एलन मस्क ( जो दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति है ) का होना चाहिए। जो दिल आप सभी ने दिखाया । जो दिखावे और वर्चस्व के लिए गलत जगह लाखो खर्च कर देते है।
उससे करोड़ गुणा बेहतर आपके 50 ,100 , 200 और 500 रहे। नीम का पेड़ जिसके जड़ से पत्ती तक कड़वा होता है। पर बीमार होने पर औसधी का काम करता है। पर वो तर्कुल किसी काम का नहीं जो छाव भी नहीं दे और उससे निकलने वाला एक मात्र रस उसे भी जो पिए पगला जाए। हमेशा भले नीम की तरह ही रहिए परंतु जब मानवता की बात आ जाय औसाधी बन जाइए। उस तरकुल की तरह बड़ा बन कर दिखावा करने से समाज को कोई लाभ होने वाला नहीं है।
गांव के सभी एवम् अन्य लोगों ने बच्ची के लिए जो प्रयास किया काबिले तारीफ है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और सहयोग करने वाले लोगों को और सामर्थ्यवान बनाए कि वे जब भी किसी के साथ ऐसी परेशानी आए तो उसके साथ कंधा से कंधा मिला कर हमेशा खड़े रहे।🥲🥲🙏🙏
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