यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति बनाए रखने के रूप में "मानव जाति की बौद्धिक और नैतिक एकजुटता" को विकसित करने के लिये की गई थी। यूनेस्को सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्त्व के स्थलों को आधिकारिक तौर पर विश्व धरोहर की मान्यता प्रदान करती है।
ध्यातव्य है कि ये स्थल ऐतिहासिक और पर्यावरण के लिहाज़ से भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 40 मूर्त विरासत धरोहर स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं और 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें हैं।
अमूर्त संस्कृति?
अमूर्त संस्कृति किसी समुदाय, राष्ट्र आदि की वह निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है।
अमूर्त सांस्कृतिक समय के साथ अपनी समकालीन पीढि़यों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात करते हुए मौजूदा पीढ़ी के लिये विरासत के रूप में उपलब्ध होती है।
अमूर्त संस्कृति समाज की मानसिक चेतना का प्रतिबिंब है, जो कला, क्रिया या किसी अन्य रूप में अभिव्यक्त होती है।
उदाहरणस्वरूप, योग इसी अभिव्यक्ति का एक रूप है। भारत में योग एक दर्शन भी है और जीवन पद्धति भी। यह विभिन्न शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति की भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत | वर्ष |
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वैदिक जप की परंपरा | 2008 |
रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन | 2008 |
कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर | 2008 |
रमन, धार्मिक त्योहार और गढ़वाल हिमालय के अनुष्ठान थिएटर, भारत | 2009 |
मुदियेट्टू, अनुष्ठान थिएटर और केरल के नृत्य नाटक | 2010 |
कालबेलिया लोक गीत और नृत्य, राजस्थान | 2010 |
छऊ नृत्य | 2010 |
लद्दाख का बौद्ध जप | 2012 |
संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल और मणिपुर का नृत्य | 2013 |
जंडियाला गुरु के ठठेरे (पंजाब): बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प | 2014 |
योग | 2016 |
नवरोज़ | 2016 |
कुंभ मेला | 2017 |
कोलकाता में दुर्गा पूजा | 2021 |
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