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Agneepath Scheme: 'मेहमान सैनिकों' के दम पर जंग नहीं जीती जाती, अग्निपथ स्कीम के बारे में बोले डिफेंस एक्सपर्ट

 Indian Army Agneepath Scheme: भारतीय मिलिट्री में शामिल होने के लिए केंद्र सरकार ने Agnipath Scheme की शुरुआत की है. चार साल के लिए युवाओं को तीनों सेनाओं में भर्ती होने का मौका मिलेगा. लेकिन अग्निपथ देश और युवाओं के लिए कितना फायदेमंद है, ये बता रहे हैं हमारे रक्षा एक्सपर्ट.



केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में 'अग्निपथ भर्ती योजना' (Agnipath Recruitment Scheme) की घोषणा आज यानी 14 जून 2022 को की. मौके पर तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे. राजनाथ सिंह ने इस स्कीम की शुरुआत के साथ इसके फायदे बताए. ये भी बताया कि अग्निपथ स्कीम के योद्धाओं को अग्निवीर (Agniveer) पुकारा जाएगा. इस स्कीम को लेकर रक्षा विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं...

पीके सहगल ने आजतक से बातचीत में कहा की सरकार की यह बहुत खराब स्कीम है. यह सरकार के लिए अग्निपथ साबित हो सकता है. देश में बेरोजगारी बहुत है. 46 हजार लोगों को एक साथ भर्ती करने का जो प्लान सरकार ने अग्निपथ स्कीम के तहत तैयार किया है, यहां लोग आएंगे तो. फौज को ज्वाइन करेंगे लेकिन चार साल बाद उन्हें निराशा हाथ लग सकती है. 

चार साल बाद 'अग्निवीरों' को लगेगा कि उनके साथ गलत हुआ

पीके सहगल ने कहा है कि जब कोई आर्मी या दूसरी फोर्सेस से रिटायर होता है और आम जीवन जीने आता है. तो उनको बेहतर नौकरी नहीं मिलती है. उनको मिलती है गार्ड की नौकरी. जवानों को कॉर्पोरेट वर्ल्ड भी नहीं लेता. इन अग्निवीरों को आसानी से रेडिकलाइज किया जा सकता है. आसानी से इनको दूसरे कामों में लगाया जा सकता है. ऐसे में यह देश के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं. अग्निवीरों को बाद में महसूस होगा कि 4 साल तक इनका इस्तेमाल करके इनको सर्टिफिकेट पकड़ा कर फेंक दिया गया है.

बेहतर जवान 7-8 साल में तैयार होते हैं, 6 महीने की ट्रेनिंग में क्या होगा?



पीके सहगल ने कहा है कि हर साल 55000 से ज्यादा high-skilled जवान आर्मी, एयरफोर्स या नेवी से रिटायर होते हैं. इसमें से 1 या 2% लोगों को ही नौकरी मिलती है. 4 साल बाद जब अग्निवीर सिविल में जाएगा तो उसे किस तरीके से नौकरी मिलेगी. यह सरकार नहीं समझा पाई है. एक बेहतर जवान को आर्मी में तैयार होने में 7-8 साल लग जाते हैं. ऐसे में जो अग्निवीर हैं जिनको 6 महीने की सिर्फ ट्रेनिंग दी जाएगी. वह कैसे बेहतर सैनिक बन पाएगा. मैंने राजनाथ सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस सुना है उनके बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था कि वह इस स्कीम से खुद संतुष्ट नहीं है. उनको मजबूरन ऐसा  करने के लिए कहा गया है. 

पीके सहगल ने कहते हैं कि अगर सीमा पर इन अग्निवीरों को किया जाता है तो उससे नुकसान होगा. यह रॉ सोल्जर होंगे इनके लिए मैन बिहाइंड मशीन का मोराल उस तरीके से नहीं होगा, जो पुराने सैनिकों का होता है. जिनकी ट्रेनिंग ज्यादा होती है. ऐसे जवानों को चिंता अपने परिवार की होगी. वह जवान 3-4 साल पूरा करके सिविल स्टेट में जाने की फिराक में रहेगा. अगर अग्निवीर को इस बात का पता हो कि उसे 15 साल नौकरी करनी है तब वह अपनी जान को हथेली में रख कर युद्ध लड़ेगा. मैं खुद भी पायलट हूं. 6-7 साल लग जाते हैं एक इफेक्टिव पायलट बनने के लिए. अब आप 6 महीने में किस तरीके की ट्रेनिंग देंगे जिससे कि हमारा जवान बेहतर बन सके.


अग्निपथ’ योजना में भारतीय युवाओं को, बतौर ‘अग्निवीर’ armed forces में सेवा का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह योजना देश की सुरक्षा को मजबूत करने एवं हमारे युवाओं को military service का अवसर देने के लिए लाई गई है: रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh

अग्निपथ का मकसद ही सही नहीं है, इससे होगा बड़ा नुकसान

अग्निपथ स्कीम दो मकसद के लिए लाया जा रहा है. देश में बड़ी बेरोजगारी है. 2024 से पहले युवकों को आप ज्यादा से ज्यादा नौकरी देना चाहते हैं. दूसरा यह पैसे की वजह से इस तरीके के कदम बढ़ाए जा रहे हैं. सरकार डिफेंस या सिविलियन पर जहां सबसे ज्यादा बजट होता है उनको हाथ नहीं लगाती है. जहां जवान पर पैसा खर्च करने की बात आती है तो उस पर इस तरीके की बातें की जा रही हैं. इतिहास गवाह है कि जब तक हमारी फौजें कमजोर थीं, हमारे ऊपर हमले होते रहे. आजादी के बाद हमने 5 लड़ाइयां लड़ी हैं. चीन से इसलिए हारे क्योंकि सरकार की पॉलिसी वैसी थी. बाकी सारी लड़ाइयां हम जीते. हमारे हथियार कमजोर थे लेकिन जवान मजबूत और हौसले वाले थे. 


स्कीम पहले छोटे स्केल पर लानी चाहिए थी, फिर बड़ा करते

पीके सहगल ने कहा कि सरकार पहले इस स्कीम को छोटे स्केल पर लेकर आती. सबसे पहले  इसका मूल्यांकन करना चाहिए था. फिर इसे लार्ज स्केल पर लाते. वह भी खामियां दुरुस्त करने के बाद. शुरुआत में यह फैसला लिया गया था कि इसे सिर्फ आर्मी के साथ लाया जाएगा लेकिन अब इसे तीनों सेनाओं के लिए लाया जा रहा है. यह बहुत ज्यादा नुकसानदेह होगा.



अग्निपथ स्कीम पर बड़ा सवाल ये है कि कम समय की ट्रेनिंग से कैसे तैयार होंगे जवान. (फोटोः PTI)

हमें विनर सेना तैयार करनी है, न कि रनर अप सेनाः लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद 

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